Indian Railways Complete Guide: Routes, Zones, Junctions, Terminals, and Symbols Explained

भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन प्रणाली नहीं है; यह भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह 24×7 करोड़ों लोगों और माल को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क इतना विशाल और जटिल है कि यह भारत की विविधता और विशालता को दर्शाता है। इस ब्लॉग में हम भारतीय रेलवे से जुड़े हर पहलू जैसे इतिहास, संरचना, रूट्स, ज़ोन, टर्मिनस, सेवाएं, रोचक तथ्य और भविष्य की योजनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।


भारतीय रेलवे न केवल भारत के हर कोने को जोड़ता है बल्कि यह देश के विकास, रोजगार और पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है और प्रतिदिन लाखों यात्रियों और माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। इसने 170 से अधिक वर्षों से भारत के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाई है।


भारतीय रेलवे की स्थापना ब्रिटिश काल में हुई थी और यह आर्थिक लाभ के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

16 अप्रैल 1853 को पहली बार मुंबई और ठाणे के बीच 34 किलोमीटर लंबी ट्रेन सेवा शुरू हुई।

यह सेवा ब्रिटिश प्रशासन द्वारा भारतीय कच्चे माल और संसाधनों को बंदरगाहों तक लाने के लिए शुरू की गई थी।

1880 तक भारतीय रेलवे का नेटवर्क 9,000 किमी तक बढ़ गया।

1905 में रेलवे को 8 ज़ोन में बांटा गया।

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान रेलवे का उपयोग सैनिकों और माल की ढुलाई के लिए किया गया।

1951 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण किया गया।

रेलवे को देश की सेवा और जनता के उपयोग के लिए फिर से व्यवस्थित किया गया।

1980 के दशक में कंप्यूटराइज्ड टिकटिंग प्रणाली शुरू हुई।


भारतीय रेलवे को उसके विशाल नेटवर्क को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए अलग-अलग हिस्सों में बांटा गया है।

भारतीय रेलवे का नेटवर्क 67,956 किलोमीटर से अधिक लंबा है, जिसमें ब्रॉड गेज, मीटर गेज और नैरो गेज के ट्रैक शामिल हैं।

  1. गोल्डन क्वाड्रीलेटरल (Golden Quadrilateral):

दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने वाला नेटवर्क।

  1. डायगोनल रूट्स (Diagonal Routes):

प्रमुख शहरों को आपस में जोड़ता है।

  1. ग्रामीण रूट्स (Rural Routes):

दूर-दराज के इलाकों को मुख्य शहरी केंद्रों से जोड़ता है।

ब्रॉड गेज: 61,680 किमी।

मीटर गेज: 2,400 किमी।

नैरो गेज: 1,785 किमी।

भारतीय रेलवे को वर्तमान में 19 ज़ोन में बांटा गया है, और हर ज़ोन में कई डिवीज़न होते हैं।

  1. उत्तरी रेलवे (Northern Railway): मुख्यालय नई दिल्ली।
  2. मध्य रेलवे (Central Railway): मुख्यालय मुंबई।
  3. दक्षिण रेलवे (Southern Railway): मुख्यालय चेन्नई।
  4. पूर्वी रेलवे (Eastern Railway): मुख्यालय कोलकाता।
  5. दक्षिण-पश्चिम रेलवे (South Western Railway): मुख्यालय हुबली।

हर ज़ोन को डिवीज़नों में बांटा गया है।

कुल 73 डिवीज़न हैं।

रेलवे में “टर्मिनल” (Terminal) एक ऐसा स्टेशन होता है जहां ट्रेन का रूट समाप्त हो जाता है। इसे आखिरी स्टेशन भी कहा जा सकता है, जहां से ट्रेनें या तो रुक जाती हैं या वापस अपने मूल स्थान पर लौटने के लिए दिशा बदलती हैं। टर्मिनल मुख्य रूप से ट्रेन संचालन, रखरखाव, और यात्रियों की सुविधा के लिए बनाए जाते हैं।

रेलवे टर्मिनल वह स्थान है:

जहां से ट्रेनें शुरू होती हैं या समाप्त होती हैं।

जहां से ट्रेनों को अन्य दिशाओं में रवाना करने के लिए तैयार किया जाता है।

प्रमुख टर्मिनल्स:

  1. छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT), मुंबई।
  2. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन।
  3. हावड़ा रेलवे स्टेशन, कोलकाता।
  4. चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन।
  5. सिकंदराबाद टर्मिनस।

रेलवे प्रणाली में “जंक्शन” (Junction) एक ऐसा स्टेशन होता है जहां दो या उससे अधिक रेलवे लाइनें मिलती हैं। यह यात्रियों और माल के परिवहन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। जंक्शन स्टेशन का मुख्य उद्देश्य अलग-अलग दिशाओं में जाने वाली ट्रेनों को संभालना और रेलवे नेटवर्क को आपस में जोड़ना होता है।

जंक्शन एक रेलवे स्टेशन होता है:

जहां कम से कम दो अलग-अलग रेलवे रूट्स आपस में जुड़ते हैं।

जहां से ट्रेनें कई दिशाओं में जा सकती हैं।

रेलवे जंक्शन (Railway Junctions)

जंक्शन वे स्थान हैं जहां दो या अधिक रेलवे लाइनें मिलती हैं।

  1. प्रयागराज जंक्शन।
  2. मथुरा जंक्शन।
  3. मुगलसराय जंक्शन (पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन)
  4. गोरखपुर जंक्शन: सबसे अधिक प्लेटफॉर्म वाला स्टेशन।
  1. आखिरी डिब्बे की पहचान:

“X” का निशान ट्रेन के अंतिम डिब्बे पर लगाया जाता है ताकि गार्ड और रेलवे स्टाफ को पता चले कि ट्रेन पूरी है और कोई डिब्बा छूटा नहीं है।

  1. सुरक्षा संकेत:

यह संकेत देता है कि ट्रेन सुरक्षित रूप से गुजर गई है और इसके सभी डिब्बे जुड़े हुए हैं।

यदि ट्रेन गुजरते समय “X” का निशान दिखाई न दे, तो रेलवे स्टाफ को समझ जाना चाहिए कि ट्रेन का कोई डिब्बा छूट गया है या कोई समस्या है।

  1. सहायक कर्मचारियों के लिए:

ट्रैकमैन, सिग्नलमैन, और रेलवे अधिकारी “X” देखकर ट्रेन की सुरक्षा की पुष्टि करते हैं।


  1. यात्री सेवाएं (Passenger Services)

भारतीय रेलवे प्रतिदिन 2.3 करोड़ यात्रियों को परिवहन करता है।

जनरल क्लास: सबसे सस्ती सेवा।

शयनयान (Sleeper Class): लंबी दूरी के लिए उपयुक्त।

एसी क्लास: अधिक आरामदायक।

प्रीमियम ट्रेनें: राजधानी, शताब्दी और वंदे भारत।

IRCTC की वेबसाइट और ऐप के माध्यम से।

ऑनलाइन सीट उपलब्धता और ट्रेन स्टेटस चेक।

  1. माल ढुलाई सेवाएं (Freight Services)

भारतीय रेलवे हर साल करोड़ों टन माल ढोती है।

प्रमुख माल ढुलाई वस्तुएं (Freight Commodities):

कोयला, सीमेंट, अनाज और उर्वरक।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC): माल ढुलाई को तेज और सुविधाजनक बनाने के लिए।

  1. विशेष ट्रेन सेवाएं (Special Train Services)

त्योहारों के लिए विशेष ट्रेनें।

पर्यटन ट्रेनें: महाराजा एक्सप्रेस, बुद्ध सर्किट ट्रेन।


  1. भारतीय रेलवे दुनिया का सबसे बड़ा नियोक्ता है।
  2. गोरखपुर जंक्शन के पास सबसे लंबा प्लेटफॉर्म (1.36 किमी)
  3. विवेक एक्सप्रेस (डिब्रूगढ़ से कन्याकुमारी) सबसे लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेन है।
  4. सबसे तेज़ ट्रेन: वंदे भारत एक्सप्रेस।
  5. सबसे व्यस्त स्टेशन: हावड़ा।

बुलेट ट्रेन परियोजना: मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल।

इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड ट्रेनें।

सौर ऊर्जा का उपयोग: हरित रेलवे की ओर कदम।

रेलवे ट्रैक का विस्तार।


  1. ‘LV’ (Last Vehicle) चिह्न:

अर्थ:

LV” का मतलब है Last Vehicle यानी यह ट्रेन का आखिरी डिब्बा है।

महत्व:

यह गार्ड और रेलवे कर्मचारियों को सूचित करता है कि ट्रेन समाप्त हो गई है।

यह ‘X‘ के साथ अक्सर आखिरी डिब्बे पर लिखा होता है।

  1. डिब्बों पर ‘SL,’ ‘3A,’ ‘2A,’ ‘1A,’ और ‘CC’:

अर्थ:

ये प्रतीक ट्रेन के डिब्बों के प्रकार को दर्शाते हैं।

SL: स्लीपर क्लास

3A: थर्ड एसी

2A: सेकंड एसी

1A: फर्स्ट एसी

CC: चेयर कार (एसी/नॉन-एसी)

महत्व:

यात्रियों को उनके डिब्बे की पहचान करने में मदद करते हैं।


  1. प्लेटफॉर्म पर और कोच के बाहर ‘B’ और ‘S’:

अर्थ:

B: एसी बोगी (AC Coaches) के लिए उपयोग किया जाता है।

S: स्लीपर क्लास के लिए।

महत्व:

यात्रियों को सही कोच ढूंढने में सहूलियत होती है।


  1. लाल और सफेद पट्टी (Red and White Stripes):

अर्थ:

डिब्बों पर लाल और सफेद रंग की पट्टी कोच के प्रकार और आपातकालीन स्थिति में उनके उपयोग को दर्शाती है।

लाल पट्टी: शयनयान (Sleeper) कोच।

सफेद पट्टी: एसी कोच।

महत्व:

दृश्य पहचान के लिए।


  1. गार्ड के डिब्बे पर लाल लाइट:

अर्थ:

गार्ड के डिब्बे पर लगी लाल लाइट दर्शाती है कि ट्रेन का आखिरी डिब्बा सुरक्षित है।

महत्व:

यह रात के समय ‘X’ और ‘LV’ के स्थान पर सुरक्षा का संकेत देती है।


  1. कोच नंबर (Coach Numbers):

अर्थ:

कोच पर जैसे “S1,” “B2,” “HA1” लिखे होते हैं, जो डिब्बे के प्रकार और नंबर को दर्शाते हैं।

HA1: आधा फर्स्ट एसी और आधा सेकंड एसी।

महत्व:

यात्रियों को उनके रिजर्वेशन के अनुसार डिब्बा ढूंढने में मदद करता है।


  1. आरक्षित (Reserved) और अनारक्षित (Unreserved) डिब्बे के प्रतीक:

अर्थ:

Reserved‘ लिखा डिब्बा उन यात्रियों के लिए है जिनका टिकट आरक्षित है।

‘UR’ (Unreserved): बिना आरक्षण वाले यात्रियों के लिए।

महत्व:

यह आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करता है।


  1. मालगाड़ी (Goods Train) पर कोड:

अर्थ:

मालगाड़ियों पर अंकित कोड उनके गंतव्य और लोड के प्रकार को दर्शाते हैं।

BOXN: कोयला या खनिज ले जाने वाले डिब्बे।

BLC: कंटेनर ट्रेनों के लिए।

BRN: माल ढुलाई के लिए खुला डिब्बा।

महत्व:

लोडिंग और अनलोडिंग प्रक्रिया में सहूलियत।


  1. ट्रेन नंबर:

अर्थ:

हर ट्रेन का एक विशिष्ट नंबर होता है, जैसे:

12301: राजधानी एक्सप्रेस (हावड़ा-नई दिल्ली)

महत्व:

यह ट्रेन की पहचान करता है और उसके रूट व गंतव्य की जानकारी देता है।


  1. ‘पक्षियों का चित्र’ या ‘ब्रांडिंग’:

अर्थ:

कभी-कभी ट्रेन पर चित्रकारी या राज्य-विशेष के प्रतीक (जैसे राजस्थान का ऊंट या केरल की नाव) देखे जा सकते हैं।

महत्व:

यह ट्रेन के नाम और उसके गंतव्य राज्य की संस्कृति को दर्शाता है।


  1. पीले और नीले रंग का संयोजन:

अर्थ:

भारतीय रेलवे के अधिकतर सामान्य डिब्बे पीले और नीले रंग के होते हैं।

महत्व:

यह भारतीय रेलवे की पहचान का हिस्सा है।


  1. सीट नंबर और क्यूआर कोड:

अर्थ:

डिब्बों में सीटों पर नंबर और क्यूआर कोड होते हैं, जिन्हें स्कैन करके यात्री अपनी बुकिंग स्थिति देख सकते हैं।


  1. स्टेशन पर ‘PF’ संकेतक:

अर्थ:

PF1,’ ‘PF2’ जैसे संकेत प्लेटफॉर्म नंबर को दर्शाते हैं।

महत्व:

यात्रियों को उनकी ट्रेन का प्लेटफॉर्म खोजने में मदद करता है।


  1. इंजन पर लिखे कोड:

अर्थ:

इंजन पर कोड जैसे WAP-7, WAG-9 लिखे होते हैं।

WAP-7: यात्री ट्रेनों के लिए।

WAG-9: मालगाड़ियों के लिए।

  1. डिब्बे पर ‘0’ या ‘1’ लिखा होना

अर्थ:

डिब्बे पर ‘0’ या ‘1’ लिखा होता है, जो कोच के प्रकार को दर्शाता है।

‘0’: यह गार्ड का कोच होता है।

1’: यह ट्रेन का प्रथम श्रेणी (First Class) डिब्बा होता है।


  1. रेक नंबर (Rake Number):

अर्थ:

हर ट्रेन का एक विशिष्ट रेक नंबर होता है, जो ट्रेन में जुड़े डिब्बों के सेट को दर्शाता है।

महत्व:

यह रखरखाव और डिब्बों की स्थिति पर नज़र रखने में मदद करता है।


  1. तिरछी पट्टियां (Slanting Lines):

अर्थ:

डिब्बों पर तिरछी पट्टियां उनकी श्रेणी को दर्शाती हैं:

लाल तिरछी पट्टी: अनारक्षित कोच।

हरी तिरछी पट्टी: महिलाओं के लिए आरक्षित कोच।

नीली तिरछी पट्टी: दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित कोच।


  1. ताज चिह्न (Crown Symbol):

अर्थ:

यह चिह्न राजधानी एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस जैसे प्रीमियम ट्रेनों पर होता है।

महत्व:

यह ट्रेन की विशेष स्थिति और उच्च प्राथमिकता को दर्शाता है।


  1. डिब्बे पर पीली पट्टी (Yellow Stripe):

अर्थ:

ट्रेन के सामान्य डिब्बे पर पीली पट्टी गार्ड के कोच को दर्शाती है।

महत्व:

यह पट्टी गार्ड के डिब्बे को अलग से पहचानने के लिए होती है।


  1. डिब्बे पर ‘जंक्शन बॉक्स’ का निशान:

अर्थ:

यह प्रतीक ट्रेन के डिब्बे में इलेक्ट्रिकल कनेक्शन और बैटरी सिस्टम के स्थान को दर्शाता है।

महत्व:

रेलवे स्टाफ के लिए यह उपयोगी होता है, ताकि वे मरम्मत या जांच कर सकें।


  1. ट्रेन के इंजन पर ‘होर्न का चिह्न’:

अर्थ:

इंजन पर होर्न का चिह्न ड्राइवर को इस बात का संकेत देता है कि यह ट्रेन तेज आवाज वाला होर्न इस्तेमाल करती है।

महत्व:

यह रेलवे स्टाफ और यात्रियों को सचेत करता है।


  1. कोच पर ‘फूल’ का चिह्न (Flower Symbol):

अर्थ:

कुछ विशेष ट्रेनों (जैसे तेजस एक्सप्रेस) पर फूल का चिह्न उनकी सजावट और आरामदायक सुविधाओं को दर्शाता है।


  1. इंजन पर तिरंगा चिह्न:

अर्थ:

यह चिह्न नई तकनीक वाले इंजन (जैसे वंदे भारत) को प्रदर्शित करता है।

महत्व:

यह भारतीय रेलवे के गौरव और आत्मनिर्भर भारत अभियान का प्रतीक है।


  1. ‘NO SMOKING’ चिह्न:

अर्थ:

यह प्रतीक हर कोच में यात्रियों को यह याद दिलाने के लिए होता है कि ट्रेन में धूम्रपान करना प्रतिबंधित है।


  1. फायर एग्जिट और आपातकालीन खिड़की का चिह्न:

अर्थ:

डिब्बों में फायर एग्जिट और आपातकालीन खिड़कियों पर स्पष्ट रूप से चिह्न बनाए गए होते हैं।

महत्व:

यह आपात स्थिति में यात्रियों को जल्दी बाहर निकलने में मदद करता है।


  1. प्लेटफॉर्म पर डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड:

अर्थ:

डिजिटल बोर्ड पर ट्रेन का नंबर, प्लेटफॉर्म, और आगमन व प्रस्थान की जानकारी प्रदर्शित होती है।

महत्व:

यात्रियों को सटीक जानकारी मिलती है।


  1. कोच पर ‘त्रिभुज’ का चिह्न:

अर्थ:

यह डिब्बे के नीचे लगाई गई बोगी का प्रकार दर्शाता है।

ऊपर की ओर त्रिभुज: डिब्बा सामान्य स्थिति में है।

नीचे की ओर त्रिभुज: डिब्बे की मरम्मत या बदलाव की आवश्यकता है।


  1. रेड सिग्नल लाइट:

अर्थ:

गार्ड के डिब्बे पर या इंजन के पीछे लगी लाल लाइट सुरक्षा का संकेत देती है।

महत्व:

यह सुनिश्चित करती है कि ट्रेन सुरक्षित रूप से चल रही है।


  1. साइड बफर पर लिखे नंबर:

अर्थ:

साइड बफर पर लिखे नंबर डिब्बे की कैपेसिटी और उसकी स्थिति का संकेत देते हैं।

महत्व:

यह रेलवे स्टाफ को डिब्बों के बीच सही जोड़ों और वजन की जानकारी देता है।


  1. स्टेशन पर ‘लोको लाइन’ का चिह्न:

अर्थ:

यह प्रतीक इंजन के रुकने के स्थान को दर्शाता है।

महत्व:

ड्राइवर को सही स्थान पर इंजन रोकने में मदद करता है।


भारतीय रेलवे न केवल देश के हर हिस्से को जोड़ती है बल्कि यह रोजगार, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का भी माध्यम है। यह भारतीय जनता के लिए गर्व का विषय है। आने वाले समय में, यह और भी उन्नति करेगा और भारत को विश्वस्तरीय परिवहन सेवा प्रदान करेगा।


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